Hindu Muslim Marriage News: इंदौर की रहने वाली हिंदू युवती की शादी जबलपुर के मुस्लिम युवक से होने वाली थी। दोनों की शादी 12 नवंबर को होने वाली थी। हाईकोर्ट के डबल बेंच ने इस पर रोक लगा दी है। अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद है। युवती के परिजन इस शादी के खिलाफ हैं।
हाइलाइट्स
- हिंदू युवती और मुस्लिम युवक की शादी पर ब्रेक
- इंदौर की युवती करने वाली जबलपुर के युवक से शादी
- युवती के परिजन नहीं थे इस शादी के लिए तैयार
- डबल बेंच ने अब शादी पर लगाई रोक
डबल बेंच ने की सुनवाई
मामले की सुनवाई हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस सुरेश कुमार कैथ और जस्टिस विवेक जैन की खंडपीठ ने की। पीठ ने इसी तरह के एक अन्य मामले में जस्टिस जीएस अहलूवालिया के फैसले का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि मुस्लिम लड़के या लड़की की दूसरे धर्म में शादी नहीं हो सकती क्योंकि यह स्पेशल मैरिज एक्ट के सेक्शन 4 के तहत अवैध मानी जाएगी।
शादी पर ब्रेक
युवती के पिता के वकील अशोक लालवानी ने बताया कि जस्टिस विशाल घगट की अदालत ने 12 नवंबर को होने वाली शादी पर फिलहाल रोक लगा दी है। मामले की अगली सुनवाई दो हफ्ते बाद होगी।
वहीं, लालवानी ने बताया कि जस्टिस अहलूवालिया ने अपने फैसले में कहा था कि मुस्लिम लड़के या लड़की की हिंदू लड़के या लड़की से शादी स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत मान्य नहीं है। उन्होंने कहा कि जब यह मामला दूसरी सिंगल बेंच में लगा तो उन्होंने कहा कि रजिस्ट्रार खुद फैसला करे कि अगर यह शादी स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 4 के दायरे में आती है तो वह शादी कराए। जबकि धारा 4 में साफ लिखा है कि अगर किसी एक पक्ष की पहले से पत्नी है तो वह दूसरी शादी नहीं कर सकता है। जबकि मुस्लिम धर्म में एक पुरुष चार शादियां कर सकता है।
इस वजह से नहीं हो सकती है शादी
लालवानी ने आगे कहा कि स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 19 कहती है कि अगर ऐसी कोई शादी होती है तो लड़की के अपने माता-पिता से सारे रिश्ते खत्म हो जाएंगे। ऐसे में स्पेशल मैरिज एक्ट की धारा 2, 4 और 19 के हिसाब से यह शादी नहीं हो सकती।
उन्होंने बताया कि उन्होंने सिंगल बेंच के आदेश को डिवीजन बेंच में रिट याचिका के जरिए चुनौती दी थी। सभी पक्षों को नोटिस जारी कर दिया गया है और सिंगल बेंच के आदेश पर रोक लगा दी गई है।
पहले युवती ने मांगी थी सुरक्षा
इससे पहले, इंदौर निवासी युवती और सिहोरा निवासी हसनैन अंसारी ने पुलिस सुरक्षा की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका में कहा गया था कि उन्होंने स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी के लिए कलेक्टर जबलपुर कार्यालय में आवेदन किया था। उसके बाद से लड़की पक्ष और कुछ धार्मिक संगठनों के लोग विरोध कर रहे हैं, जिससे दोनों को अपनी जान का खतरा है।
दोनों में चार साल से है प्रेम संबंध
एकलपीठ ने मामले की सुनवाई अपने चैंबर में की थी। सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने बताया कि दोनों के बीच पिछले चार साल से प्रेम संबंध हैं और वे पिछले एक साल से लिव-इन-रिलेशनशिप में रह रहे हैं। दोनों अपनी मर्जी से शादी करना चाहते हैं।
परिजनों की यह थी दलील
युवती के परिजनों ने विरोध करते हुए पूर्व में पारित एक आदेश का हवाला दिया था, जिसमें कहा गया था कि स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत हुआ विवाह भी मुस्लिम पर्सनल लॉ के तहत मान्य नहीं होगा। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज में अग्नि और मूर्ति पूजा करने वालों से विवाह मान्य नहीं है